एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन के व्यापक साइबर जासूसी अभियान के जवाब में चीन की राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MSS) पर प्रतिबंध लगाने की अपनी योजना फिलहाल रोक दी है। यह कदम इस वर्ष दोनों देशों के बीच बनी ट्रेड ट्रूस (व्यापारिक शांति) को नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से जुड़े हैकर्स ने सालों तक “सॉल्ट टाइफून” नामक दुनिया भर में फैले एक बड़े साइबर जासूसी अभियान को अंजाम दिया। इसमें अमेरिकी और वैश्विक दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क और एक अमेरिकी राज्य की आर्मी नेशनल गार्ड के सिस्टम को निशाना बनाया गया था। यह अभियान लंबे समय से अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है।
इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर नए निर्यात नियंत्रण लागू न करने का भी निर्णय लिया है। अधिकारियों के अनुसार, इस समय ऐसे किसी भी कठोर कदम से दोनों देशों के बीच हाल ही में बनी नाजुक आर्थिक समझ से समझौता हो सकता था।
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व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की, और रॉयटर्स स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका।
वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी टैरिफ के चलते उत्पन्न तनावों के बाद, 30 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक अहम व्यापारिक ढांचा समझौता हुआ था। इस समझौते में अमेरिका ने चीनी आयातों पर 100% नए टैरिफ लगाने से पीछे हटने पर सहमति जताई, जबकि चीन ने दुर्लभ धातुओं और मैग्नेट्स के निर्यात के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू न करने का वादा किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा प्रतिबंध रोकना इस समझौते को स्थिर बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है, विशेषकर उस समय जब साइबर सुरक्षा और व्यापार दोनों देशों के बीच प्रमुख विवादों के केंद्र में हैं।
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