करूर में हुई घातक भगदड़ की घटना के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर लौटे अभिनेता से नेता बने विजय ने गुरुवार को ईरोड में आयोजित एक विशाल रैली के जरिए न केवल अपनी राजनीतिक मौजूदगी दर्ज कराई, बल्कि सत्तारूढ़ डीएमके को अपना मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी बताया। विधानसभा चुनावों में अब केवल कुछ ही महीने बचे हैं और ऐसे में विजय ने इस रैली के माध्यम से खुद को तमिलनाडु की सामाजिक न्याय की विरासत का उत्तराधिकारी और सत्ता को चुनौती देने वाले नेता के रूप में पेश किया।
अपने भाषण में विजय ने सिनेमा की शैली से प्रेरित अंदाज अपनाया और बार-बार डीएमके सरकार के शासन और दावों पर सवाल उठाए। उन्होंने भीड़ से सीधे संवाद करते हुए उनसे यह भी पूछा कि क्या वे उन पर भरोसा करते हैं और क्या वे बदलाव चाहते हैं। इस दौरान रैली में मौजूद लोगों ने जोरदार प्रतिक्रिया दी, जिससे विजय की लोकप्रियता और जनसमर्थन को परखने का उनका प्रयास साफ झलका।
अपने संबोधन की शुरुआत में विजय ने ईरोड को ‘मंजल की धरती’ बताते हुए कहा कि यह जिला आम लोगों के जीवन और उनके श्रम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि लगातार आने वाली सरकारें हल्दी किसानों की समस्याओं को हल करने में नाकाम रही हैं। विजय ने भीड़ से पूछा कि क्या किसानों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए वास्तव में कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। इस सवाल पर लोगों ने एकजुट होकर अपनी प्रतिक्रिया दी।
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इसके बाद विजय ने 13वीं सदी के कालींगरायन से जुड़ी विरासत का उल्लेख किया, जिनके नाम पर कालींगरायन बांध और नहर प्रणाली का निर्माण हुआ था। उन्होंने इस ऐतिहासिक उदाहरण के जरिए विकास, जल प्रबंधन और किसानों के हितों की बात उठाई।
कुल मिलाकर, ईरोड की यह रैली विजय के लिए राजनीतिक रूप से बेहद अहम रही, जहां उन्होंने डीएमके को सीधे चुनौती देते हुए खुद को आने वाले समय का मजबूत विकल्प बताने की कोशिश की।
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