साल 2025 भारतीय महिला खेलों के लिए खास रहा, जब देश की युवा खिलाड़ियों ने सिर्फ मुकाबला ही नहीं किया, बल्कि अपने दम पर नई पहचान भी बनाई। बैडमिंटन में उन्नति हुड्डा और तन्वी शर्मा शायद पीवी सिंधु जैसी जन्मजात शारीरिक क्षमता या स्टारडम के साथ सामने नहीं आईं, लेकिन वे खामोशी से अपने खेल को निखारते हुए शीर्ष स्तर की ओर बढ़ रही हैं।
यह सवाल लगातार उठता रहा है कि क्या उन्नति और तन्वी बिना दिग्गज कोच पुलेला गोपीचंद के मार्गदर्शन के सायना नेहवाल और सिंधु जैसे मुकाम तक पहुंच सकती हैं। 2025 में इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से यह साबित किया कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और धैर्य किसी भी बड़ी प्रणाली का विकल्प बन सकते हैं।
साल भर भारत की युवा महिला खिलाड़ियों ने अलग-अलग खेलों में अपना परचम लहराया। बैडमिंटन के अलावा श्री चरानी ने अपने शांत और सटीक नियंत्रण से सबको प्रभावित किया। पैरा आर्चरी स्टार शीतल देवी ने अदम्य जज्बे के साथ संघर्ष की नई मिसाल पेश की। शतरंज की युवा महारानी दिव्या देशमुख ने आक्रामक चालों से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की ताकत दिखाई।
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निशानेबाजी में इस बार एक और ‘फोगाट’ चर्चा में आई — सुरुचि — जिसने शूटिंग रेंज पर अपनी पहचान बनाई। तीरंदाजी में अंकिता भगत ने दक्षिण कोरिया के दबदबे को चुनौती दी, जबकि बॉक्सिंग रिंग में प्रीति पंवार की ताकत और सटीकता देखने लायक रही। कुश्ती में अंतिम पंघाल ने यह याद दिलाया कि मैट पर उनका दबदबा अभी कायम है।
‘जेन शी’ कही जा रही इन खिलाड़ियों ने 2025 में यह दिखा दिया कि भारत की खेल प्रतिभा अब सिर्फ उम्मीद नहीं, बल्कि हकीकत बन चुकी है। इन युवा महिलाओं ने तिरंगे को ऊंचा रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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