इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज़ वर्तिका सिंह के खिलाफ जालसाजी से जुड़े आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। यह मामला कथित तौर पर एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के इशारे पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने के आरोपों से जुड़ा था।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने 19 दिसंबर को दिए अपने आदेश में कहा कि अदालत के समक्ष उपलब्ध संपूर्ण सामग्री में आवेदक वर्तिका सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि जिन दस्तावेजों को वर्तिका सिंह को भेजा गया था, वही दस्तावेज अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भी जांच के लिए भेजे गए थे, लेकिन यह पता लगाने के लिए कोई जांच नहीं की गई कि कथित फर्जी दस्तावेज तैयार किसने किए।
अदालत ने यह भी दर्ज किया कि इसी मामले में जांच अधिकारी ने यह पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी कि वर्तिका सिंह के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। इसके बावजूद उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखी गई थी।
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इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तिका सिंह के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को निरस्त किया जाना उचित है।
यह मामला अप्रैल 2020 का है, जब राजनेश सिंह नामक व्यक्ति, जिसने खुद को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का करीबी बताया था, ने वर्तिका सिंह से संपर्क किया। आरोप है कि उसने राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य नियुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया।
वर्तिका सिंह के वकीलों के अनुसार, राजनेश सिंह ने व्हाट्सऐप के माध्यम से बिना हस्ताक्षर वाले दस्तावेज भेजे और बाद में उनसे 25 लाख रुपये की मांग की। जब वर्तिका सिंह ने पैसे देने से इनकार किया, तो उनके खिलाफ अमेठी जिले के मुसाफिरखाना थाने में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज करा दिया गया।
जांच के बाद पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया था और मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ प्रक्रिया जारी की थी। इस कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद अदालत ने इसे रद्द कर दिया।
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