भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने हाल ही में एक साहसी और रणनीतिक निर्णय लिया है, जिसने उन्हें खेल की दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया है। उन्होंने हाई प्रोफाइल टूर्नामेंट में महिलाओं की श्रेणी में खेलने के बजाय ओपन कैटेगरी में हिस्सा लेने का फैसला किया।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि दिव्या ने महिला वर्ग में भाग लिया होता, तो उनके लिए खिताब जीतने की संभावना अधिक होती। हालांकि, उन्होंने चुनौतीपूर्ण ओपन सेक्शन में शुरुआत करने का निर्णय लिया, जहां पुरुष और महिला खिलाड़ी दोनों प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। यह निर्णय उनके आत्मविश्वास और खेल के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को दर्शाता है।
फीड़ (FIDE) ने दिव्या देशमुख को ओपन सेक्शन के लिए वाइल्ड कार्ड प्रदान किया है। उनके साथ इस श्रेणी में रूसी ग्रैंडमास्टर अलेक्जेंड्रा गोऱयाचकिना भी शामिल हैं। यह अवसर उन्हें उच्च स्तरीय प्रतिस्पर्धा में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल को मजबूत बनाने में मदद करेगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं को पुरुष खिलाड़ियों के साथ ओपन कैटेगरी में खेलने की स्वतंत्रता मिलना शतरंज की दुनिया में लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है। दिव्या का यह निर्णय न केवल साहसिक है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणादायक साबित होगा।
दिव्या देशमुख की इस रणनीतिक चाल से यह साफ है कि वह केवल जीत के लिए नहीं, बल्कि चुनौती और अनुभव के लिए खेलती हैं। उनका यह कदम उनके आत्मविश्वास और खेल की गहरी समझ को उजागर करता है।
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