भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की वनडे श्रृंखला में 0-2 से हार का सामना करना पड़ा। कुलदीप यादव के अभाव में भारत की गेंदबाजी एक-आयामी और कमजोर नजर आई। अर्शदीप सिंह और मोहम्मद सिराज के कुछ स्पैल्स ने थोड़ी जान डाली, लेकिन पूरी टीम की गेंदबाजी दिशा और धारहीन रही।
अंतिम ओवरों में ऑस्ट्रेलिया के दो विकेट गिरने से भारत के समर्थकों में थोड़ी आशा जगी, लेकिन कूपर कॉनॉली ने शानदार बल्लेबाजी कर ऑस्ट्रेलिया को 265 रनों के लक्ष्य तक पहुँचाया और श्रृंखला जीत दिलाई। हार का अंतर केवल दो विकेट था, जो केवल क्षणिक संतोष दे सकता है। खेल के दौरान भारत हमेशा पीछे की भूमिका में रहा। शुरुआत धीमी और अंत फीका रहा; मध्य ओवर में गेंदबाजी बिना जादू और लक्ष्य के थी। देर से हुई वापसी भी रक्षात्मक मानसिकता को छिपा नहीं सकी।
विश्लेषकों का मानना है कि जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या के लौटने पर भारत की स्थिति बदल सकती है। पांड्या निचले मध्यक्रम में संतुलन लाएंगे और बुमराह गेंदबाजी में धार और डर पैदा करेंगे। लेकिन विश्व विजेता बनने की महत्वाकांक्षा केवल दो खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं की जा सकती, जो उम्र और फिटनेस में सीमित हैं। अगले विश्व कप में दोनों की उम्र 33 होगी। मोहम्मद शमी की वापसी भी अनिश्चित नजर आ रही है।
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भारत के विकल्प सीमित हैं, चयन कमजोर है और गेंदबाजी असहाय नजर आई। दोनों मैचों में गेंदबाजी का चयन उलझन और सीमाओं के कारण प्रभावहीन साबित हुआ।
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