लक्षद्वीप की 19 वर्षीय एथलीट मुबास्सिना मोहम्मद ने असंभव परिस्थितियों को मात देते हुए इतिहास रच दिया है। नारियल तोड़ने वाले पिता की बेटी मुबास्सिना देश की पहली अंतरराष्ट्रीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बन गई हैं। सीमित संसाधनों और मिट्टी के ट्रैक पर अभ्यास करने के बावजूद, वह भारत की शीर्ष लंबी कूद खिलाड़ियों में शामिल हो रही हैं।
मुबास्सिना वर्तमान में साउथ एशियन एथलेटिक्स फेडरेशन (SAAF) सीनियर चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उन्होंने 2022 एशियन अंडर-18 चैंपियनशिप में कुवैत में दो रजत पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई थी। हाल ही में उन्होंने नेशनल अंडर-23 चैंपियनशिप में 6.36 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक जीता।
मुबास्सिना के अनुसार, “पूरे लक्षद्वीप में कोई उचित स्टेडियम या सिंथेटिक ट्रैक नहीं है। मैं मिनीकॉय द्वीप की हूं, जहां केवल 200 मीटर का मिट्टी का ट्रैक है। बारिश होने पर हम अभ्यास नहीं कर पाते।” फुटबॉल वहां सबसे लोकप्रिय खेल है, जिससे लंबी कूद के लिए जगह मिलना मुश्किल होता है।
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उनके पिता मोहम्मद पहले मिनी मैराथन में भाग लेकर पुरस्कार जीतते थे और नारियल तोड़ने का काम करते हैं। मां दुबिना बनू एक छोटी चाय की दुकान चलाती हैं।
मुबास्सिना ने अपने पहले कोच अहमद जवाद हसन के मार्गदर्शन में कवरेत्ती में प्रशिक्षण लिया, जिसके लिए उनका परिवार दो साल तक वहीं रहा। बाद में वह केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ट्रेनिंग लेने के बाद बेंगलुरु में अंजू बॉबी जॉर्ज अकादमी से जुड़ गईं, जहां कोच रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज ने उनकी प्रतिभा को निखारा।
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