एक हालिया सर्वेक्षण ने संगीत जगत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते प्रभाव पर नई बहस छेड़ दी है। डीज़र और इप्सोस (Deezer–Ipsos) द्वारा किए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि 97% श्रोता यह पहचान नहीं पाए कि कोई गीत इंसान ने बनाया है या AI ने।
यह सर्वेक्षण आठ देशों — अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित — 9,000 लोगों पर किया गया। परिणामों से यह स्पष्ट हुआ कि संगीत उद्योग में AI के बढ़ते इस्तेमाल से कॉपीराइट उल्लंघन और कलाकारों की आजीविका पर खतरे जैसी चिंताएं तेजी से बढ़ रही हैं।
डीज़र ने बताया कि अधिकांश श्रोता चाहते हैं कि AI से बनाए गए गीतों पर स्पष्ट लेबल लगे। 73% लोगों ने कहा कि AI-जनित ट्रैक्स की अनुशंसा के समय खुलासा होना चाहिए, 45% ने फ़िल्टर विकल्प मांगा और 40% ने कहा कि वे ऐसे गीतों को पूरी तरह छोड़ देंगे। लगभग 71% प्रतिभागियों ने यह स्वीकार किया कि वे इंसानी और AI संगीत के बीच फर्क नहीं कर सके।
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डीज़र, जिसके 9.7 मिलियन सब्सक्राइबर हैं, अब प्रतिदिन लगभग 50,000 AI संगीत ट्रैक प्राप्त कर रहा है — जो कुल अपलोड का लगभग एक-तिहाई है। कंपनी ने पारदर्शिता के लिए AI ट्रैकों को टैग करने और उन्हें संपादकीय प्लेलिस्ट और एल्गोरिदमिक अनुशंसाओं से बाहर रखने का निर्णय लिया है।
डीज़र के सीईओ एलेक्सिस लैंटर्नियर ने कहा, “रचनात्मकता मनुष्यों की उपज है और उनकी सुरक्षा जरूरी है।” इस बीच, जर्मनी की एक अदालत ने हाल ही में ChatGPT को कॉपीराइट उल्लंघन का दोषी ठहराया, जबकि Universal Music Group और AI कंपनी Udio ने मिलकर 2026 में एक नया AI-संगीत प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की घोषणा की है।
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