चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और अमेरिका को पीछे छोड़ने की दिशा में आक्रामक रणनीति अपना रहा है। शंघाई में आयोजित वर्ल्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस (WAIC) में पूर्व गूगल सीईओ एरिक श्मिट ने कहा कि “अमेरिकी और चीनी एआई सेक्टर के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि चीन के ज्यादातर प्रमुख एआई मॉडल ओपन-वेट और ओपन-सोर्स हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में एआई अनुसंधान और विकास की गति “फॉर्मूला 1 स्पीड पर चल रही मैराथन” की तरह है। चीनी कंपनियां और स्टार्टअप न केवल तेजी से नए एआई मॉडल विकसित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराकर डेवलपर समुदाय के साथ सहयोग भी बढ़ा रहे हैं।
इस ओपन-सोर्स रणनीति ने चीन को एआई तकनीक के नवाचार और अपनाने में बढ़त दिलाई है। जहां अमेरिका में कई एआई कंपनियां अपने मॉडल्स को क्लोज्ड-सोर्स रखती हैं, वहीं चीन का दृष्टिकोण वैश्विक शोधकर्ताओं और डेवलपर्स को इन मॉडलों का उपयोग और सुधार करने की स्वतंत्रता देता है।
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सम्मेलन में यह भी चर्चा हुई कि चीन सरकार और निजी क्षेत्र एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। इसका उद्देश्य सुपरकंप्यूटिंग क्षमता, डेटा प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग में तेजी से सुधार लाना है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर चीन यह गति बनाए रखता है, तो आने वाले वर्षों में वह एआई नेतृत्व में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है। हालांकि, एरिक श्मिट ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा का संतुलन बनाए रखना वैश्विक एआई पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जरूरी है।
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