भारत में साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए शुरू किए गए फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (FRI) ने लॉन्च के महज छह महीनों के भीतर लगभग ₹660 करोड़ के साइबर फ्रॉड नुकसान को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। यह जानकारी संचार मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में दी गई। मंत्रालय के अनुसार, यह उपलब्धि विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वित कार्रवाई और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
22 मई 2025 को शुरू किया गया FRI, दूरसंचार विभाग (DoT) के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के माध्यम से लागू किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के सक्रिय सहयोग से बैंक, वित्तीय संस्थान और थर्ड पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर्स (TPAPs) बड़ी संख्या में इस प्लेटफॉर्म से जुड़ रहे हैं।
वर्तमान में 1,000 से अधिक बैंक, TPAPs और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (PSOs) DIP से जुड़ चुके हैं और सक्रिय रूप से FRI को अपना रहे हैं। मंत्रालय ने बताया कि हाल के वर्षों में भारत का साइबर अपराध परिदृश्य तेजी से बदला है, जहां अपराधी संगठित डिजिटल गिरोहों की तरह काम कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट स्कैम से लेकर अत्याधुनिक सिम-बॉक्स नेटवर्क तक, खतरे लगातार नए रूप ले रहे हैं।
और पढ़ें: चैटबॉट प्रशिक्षण को लेकर Google, xAI और OpenAI पर मुकदमा
इस चुनौतीपूर्ण माहौल में “जन भागीदारी” सबसे प्रभावी हथियार बनकर उभरी है। DoT के नागरिक-केंद्रित प्लेटफॉर्म ‘संचार साथी’ ने एक क्राउडसोर्स्ड साइबर इंटेलिजेंस टूल के रूप में अहम भूमिका निभाई है। नागरिकों द्वारा संदिग्ध कॉल, धोखाधड़ी वाले कनेक्शन और खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की रिपोर्ट सीधे FRI सिस्टम में शामिल की जा रही है।
DoT ने सतर्क नागरिकों और ‘साइबर वॉरियर्स’ के योगदान की सराहना की और सभी नागरिकों से संचार साथी वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का उपयोग करने की अपील की। मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि RBI, NPCI, SEBI, PFRDA, बैंकों और नागरिकों के सहयोग से भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखा जा सकता है।
और पढ़ें: अमेज़न ने 1,800 उत्तर कोरियाई नागरिकों को नौकरी के लिए आवेदन करने से रोका