केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक नोट में डिजिटल सामग्री में “अश्लीलता” और अन्य निषिद्ध कंटेंट को परिभाषित करने वाले दिशा-निर्देश पेश करने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत लागू होगा, जो सोशल मीडिया कंपनियों, ओटीटी स्ट्रीमिंग सेवाओं और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स के संचालन को नियंत्रित करता है।
सरकार ने नोट में कहा कि यह दिशा-निर्देश सभी डिजिटल सामग्री पर लागू होंगे और इसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ओटीटी स्ट्रीमिंग सर्विसेज और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म शामिल होंगे। प्रस्ताव में व्यापक प्रतिबंध शामिल किए गए हैं, जो केबल टेलीविजन नेटवर्क (नियमन) अधिनियम, 1995 से लिए गए हैं।
सरकार का उद्देश्य ऑनलाइन सामग्री पर एक स्पष्ट और सभी के लिए समान मानक तय करना है ताकि अश्लील, अपमानजनक या हानिकारक सामग्री को नियंत्रित किया जा सके। इसके तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सामग्री भारतीय कानून के अनुसार हो और उसमें कोई अवांछनीय तत्व शामिल न हो।
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सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत पहले भी कुछ कंटेंट मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग आवश्यकताएं रखी गई थीं। नए प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के लागू होने से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को सामग्री की निगरानी, वर्गीकरण और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम डिजिटल दुनिया में उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने और अवांछनीय सामग्री पर नियंत्रण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। सुप्रीम कोर्ट में इस नोट के दाखिल होने के बाद अब इस पर कानूनी बहस और सुनवाई हो सकती है।
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