भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने जीपीएस-रहित नियंत्रण प्रणाली विकसित की है, जो बिना किसी केंद्रीय नियंत्रण या इंटर-ड्रोन संचार के स्वायत्त ड्रोन स्वार्म (समूह) को एक साथ उड़ने में सक्षम बनाती है।
यह तकनीक प्रोफेसर द्वायपायन मुखर्जी और शोध छात्र चिन्मय गरनायक द्वारा विकसित की गई है। इस नई प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ड्रोन के बीच बेयरिंग-ओनली माप (bearing-only measurements) का उपयोग करती है, जो ऑनबोर्ड कैमरों के माध्यम से प्राप्त होती हैं। इन आंकड़ों के आधार पर ड्रोन एक-दूसरे की सापेक्ष स्थिति का निर्धारण करते हैं और उड़ान के दौरान समन्वय बनाए रखते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) ड्रोन पर लागू किया है, जो बिना रनवे के उड़ान भर सकते हैं और हवा में स्थिर रह सकते हैं। ऐसे ड्रोन निगरानी, आपदा राहत और सीमित स्थानों में संचालन जैसे मिशनों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं।
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प्रो. मुखर्जी ने कहा, “स्वार्म में स्वायत्तता प्राप्त करना एक जटिल कार्य है। हमारा उद्देश्य ऐसा सिस्टम विकसित करना था, जिसमें प्रत्येक ड्रोन अपने सेंसरों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर निर्णय ले सके, बजाय इसके कि उसे किसी केंद्रीकृत कंप्यूटर या मानव निर्देश की आवश्यकता हो।”
यह नवाचार ड्रोन आर्किटेक्चर को सरल, गोपनीयता (stealth) को बेहतर और गतिशील मिशनों में स्थिरता सुनिश्चित करने वाला साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक भविष्य में रक्षा, कृषि, और शहरी निगरानी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
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