Microsoft से Google तक, नवाचार (Innovation) ही वह आधार रहा है जिसने इन कंपनियों को वैश्विक टेक जगत में शीर्ष पर पहुंचाया है।
Microsoft, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1975 को बिल गेट्स और पॉल एलन ने की थी, ने शुरुआत की थी पर्सनल कंप्यूटरों के लिए सॉफ्टवेयर बनाने से। आज यह कंपनी क्लाउड कंप्यूटिंग, एंटरप्राइज सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर से लेकर AI तक में काम कर रही है। OpenAI में निवेश के चलते इसकी AI क्षमताएं और तेज़ी से बढ़ रही हैं।
Google (Alphabet), जिसकी शुरुआत लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने 1998 में की थी, पहले इंटरनेट पर जानकारी खोजने को बेहतर बनाना चाहता था। लेकिन आज Google सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं, बल्कि यह AI (DeepMind), क्लाउड, और स्वायत्त वाहनों (Waymo) जैसे क्षेत्रों में भी मजबूत स्थिति रखता है।
अब नजर डालते हैं भारतीय IT कंपनियों पर।
भारत की IT कंपनियां मुख्यतः आउटसोर्सिंग और सर्विस मॉडल पर आधारित हैं। जबकि अमेरिकी कंपनियां प्रोडक्ट और प्लेटफ़ॉर्म इनोवेशन में निवेश करती हैं। फिर भी, कई भारतीय कंपनियों के P/E (प्राइस-टू-अर्निंग) रेशियो ग्लोबल दिग्गजों के बराबर या उनसे ऊपर हैं।
कंपनी | मार्केट कैप | P/E रेशियो |
Microsoft | $3.6 ट्रिलियन | 37x |
Alphabet (Google) | $2 ट्रिलियन | 20x |
Adobe | $160 बिलियन | 19x |
TCS | $143 बिलियन | 25x |
Infosys | $79 बिलियन | 25x |
HCL | $53 बिलियन | 26x |
Wipro | $32 बिलियन | 21.3x |
सवाल यह है: जब इन कंपनियों में इनोवेशन उतना नहीं है, तो यह हाई वैल्यूएशन क्यों?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय IT की मजबूत कैश फ्लो, रुपये की गिरावट, और वर्षों की ग्रोथ इसकी वैल्यूएशन को जायज़ ठहराते हैं। हालांकि, AI की तेज़ी से बढ़ती क्षमताएं इस मूल्यांकन मॉडल को चुनौती दे रही हैं।
Waterfield Advisors के विपुल भावर के अनुसार, वैश्विक टेक कंपनियां 2025 तक AI में $320 बिलियन से ज्यादा का निवेश कर रही हैं। जबकि भारत इस स्तर के कैपेक्स और टैलेंट के लिए तैयार नहीं है।
BNP Paribas के कुमार राकेश का मानना है कि भारतीय कंपनियों की ROE, फ्री कैश फ्लो, और डिविडेंड पेआउट में सुधार हुआ है। इन सुधारों को सिर्फ P/E से समझना सही नहीं होगा।
मगर सबकुछ सुनहरा भी नहीं है।
TCS, Infosys और HCL Tech की राजस्व ग्रोथ भले ही 10% रही हो, पर उनकी प्रॉफिट ग्रोथ सिंगल डिजिट में रही। वहीं Microsoft, Alphabet और Meta की ग्रोथ 11-13% रही।
Choice Institutional Equities के एक एनालिस्ट का कहना है कि AI, डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड माइग्रेशन जैसे क्षेत्र आने वाले समय में भी ग्रोथ के इंजन बने रहेंगे। लेकिन निकट भविष्य में मैक्रो अनिश्चितताओं के चलते क्लाइंट्स खर्च पर सतर्क रहेंगे।
HDFC Securities की रिपोर्ट के मुताबिक, FY26 की पहली तिमाही में भारतीय IT सेक्टर की रेवेन्यू ग्रोथ मिक्स्ड रह सकती है लेकिन डॉलर टर्म्स में मजबूती दिखेगी।
क्या आगे भी ये ग्रोथ बनी रहेगी?
AI की होड़ में जो कंपनियां तेजी से कदम उठाएंगी, वही टिक पाएंगी। राकेश का मानना है कि भारतीय IT सेक्टर ने अतीत में भी डॉट-कॉम क्रैश, 2008 की मंदी, क्लाउड व SaaS जैसी चुनौतियों से पार पाया है।
इसी कारण इसे “Technology Staples” का नाम दिया गया है – यानी वो सेक्टर जो समय के साथ ज़रूरी होता चला गया।
बोलचाल में कहें तो — इंडियन IT का इंजन पुराना ज़रूर है, लेकिन चल तो सही दिशा में रहा है। पर जब ट्रैक बदल रहा है (AI), तो गाड़ी को भी अपग्रेड करना पड़ेगा वरना पीछे छूटने का रिस्क है।