संचार साथी ऐप को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यह ऐप फोन में प्री-इंस्टॉल तो होगा, लेकिन उपयोगकर्ताओं को इसे हटाने का पूरा विकल्प मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति इस ऐप का उपयोग नहीं करना चाहता, तो उसे सक्रिय न करे या फिर फोन से डिलीट कर दे।
मंत्री सिंधिया ने बताया कि जैसे कई ऐप्स नए फोन में पहले से मौजूद होते हैं, वैसे ही संचार साथी भी रहेगा। “यदि आप इसे रखना चाहें तो रखें, नहीं तो डिलीट कर दें। यह पूरी तरह उपयोगकर्ता की मर्जी है”। हालांकि, गूगल मैप्स जैसे ऐप्स एंड्रॉयड फोन से पूरी तरह नहीं हटाए जा सकते, लेकिन उन्हें डिसेबल किया जा सकता है। iPhone में यह हटाया जा सकता है।
सिंधिया ने कहा कि सरकार का उद्देश्य लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए जागरूक करना है, न कि किसी प्रकार की निगरानी करना। उन्होंने कहा, “देश के हर नागरिक को यह पता नहीं होता कि उनके फोन की सुरक्षा के लिए कोई ऐप मौजूद है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम जानकारी दें।”
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दूसरी ओर, कांग्रेस और कई विपक्षी नेताओं ने इस कदम को गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन बताया है। कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि यह निर्देश “संविधान के खिलाफ” है और देश में ‘बिग ब्रदर’ जैसी निगरानी व्यवस्था लागू करने जैसा है। कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे “जासूसी ऐप” बताते हुए कहा कि सरकार देश को “तानाशाही” की ओर ले जा रही है। शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे “BIG BOSS सर्विलांस मोमेंट” कहा।
सिंधिया ने विपक्ष की आलोचना को बेबुनियाद बताया और कहा कि वे हर मुद्दे को राजनीतिक रंग देने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि 2024 में देश में 22,800 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड हुए, और संचार साथी जैसे ऐप इन्हीं अपराधों को रोकने में मदद करेंगे।
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