चालू वित्त वर्ष में देश का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 4% घटकर ₹6.64 लाख करोड़ पर आ गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट का प्रमुख कारण करदाताओं को जारी किए गए उच्च रिफंड हैं।
प्रत्यक्ष करों में आयकर, कॉर्पोरेट कर और पेशेवरों तथा अन्य संस्थाओं द्वारा भुगतान किए जाने वाले कर शामिल होते हैं। इन करों का संग्रह सरकार के लिए राजस्व का महत्वपूर्ण स्रोत है और देश की आर्थिक स्थिति का संकेतक भी माना जाता है।
आयकर विभाग के अनुसार, अप्रैल से अब तक जारी रिफंड की राशि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रही है, जिसके चलते कुल संग्रह में कमी दर्ज की गई। हालांकि, सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में मामूली वृद्धि देखी गई है, लेकिन रिफंड के कारण शुद्ध संग्रह घटा है।
और पढ़ें: कंपनियों द्वारा बिटकॉइन जमा करना: एक जोखिमभरी डिजिटल दौड़?
विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट आंशिक रूप से मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और कर भुगतान चक्र के बदलाव से जुड़ी है। उच्च रिफंड का मतलब यह भी है कि करदाताओं ने अग्रिम कर के रूप में अधिक भुगतान किया था, जिसे बाद में वापस करना पड़ा।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वर्ष के शेष महीनों में प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार की उम्मीद है, खासकर तब जब कॉर्पोरेट सेक्टर से कर भुगतान की दर में बढ़ोतरी होगी और व्यक्तिगत आयकर से भी बेहतर संग्रह आएगा।
सरकार को उम्मीद है कि आगामी महीनों में प्रत्यक्ष कर संग्रह वार्षिक लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा, जो बुनियादी ढांचे, सामाजिक योजनाओं और विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में सहायक होगा।
और पढ़ें: विदेशी निवेश और एशियाई बाजारों की मजबूती से सेंसेक्स 104 अंक चढ़ा