भारत में लोन पास कराने का तरीका जल्द ही पूरी तरह बदल सकता है। अब सिर्फ़ CIBIL स्कोर नहीं, बल्कि वैकल्पिक डेटा और टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी आपकी क्रेडिट योग्यता आंकी जा सकेगी। वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग (DFS) एक नई डिजिटल प्रणाली यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) को पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है।
ULI का मक़सद है—लोन वितरण की प्रक्रिया को तेज़, सरल और व्यापक बनाना। यह परंपरागत क्रेडिट ब्यूरो सिस्टम पर निर्भरता कम करेगा, जिससे उन लोगों को भी औपचारिक ऋण प्रणाली में प्रवेश मिलेगा जो अब तक इससे वंचित थे।
वित्त मंत्रालय ने 23 जून को इस विषय में एक अहम बैठक की जिसमें DFS सचिव एम नागराजू और भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारियों ने केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों से चर्चा की। बैठक में देशव्यापी ULI रोलआउट की योजना पर गंभीरता से विचार किया गया।
DFS ने सभी वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे हर महीने ULI के अपनाने की प्रगति की समीक्षा करें। जो संस्थाएं अब तक इससे नहीं जुड़ी हैं, उन्हें जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है।
क्या है Unified Lending Interface (ULI)?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, ULI एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो तकनीक, डेटा और नीति को जोड़ते हुए ऋण प्रक्रिया को सरल बनाता है। यह सरकारी मंत्रालयों और विभागों से प्रमाणित डेटा की मदद से तेज़ और समावेशी क्रेडिट डिलीवरी संभव बनाता है।
ULI की प्रमुख विशेषताएं:
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फ्रिक्शनलेस क्रेडिट डिलीवरी: लोन अप्रूवल में लगने वाला समय और मेहनत कम होगी।
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कंसेंट-आधारित डेटा शेयरिंग: उधारकर्ता की सहमति से वित्तीय और गैर-वित्तीय डेटा का इस्तेमाल।
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स्टैंडर्ड API: तकनीकी बाधाओं को दूर कर बैंकों के बीच डेटा ट्रांसफर को आसान बनाता है।
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वैकल्पिक डेटा मूल्यांकन: बिजली बिल, GST रेकॉर्ड जैसे गैर-पारंपरिक स्रोतों से क्रेडिट योग्यता आंकी जाएगी।
ULI से संभावित फायदे:
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वित्तीय समावेशन: ग्रामीण क्षेत्र और छोटे व्यवसायों को औपचारिक कर्ज़ प्रणाली से जोड़ेगा।
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पारदर्शिता: वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता आएगी, धोखाधड़ी की संभावनाएं घटेंगी।
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लोन लागत में कमी: कागज़ी कार्यवाही कम होगी, प्रक्रिया तेज़ और सस्ती होगी।
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क्रेडिट एक्सेस बढ़ेगा: खासकर किसानों और MSMEs के लिए लोन पाना आसान होगा।
अगर ULI योजना सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह भारत के लेंडिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव ला सकती है—जहां लोन सिर्फ़ CIBIL स्कोर पर नहीं, बल्कि ज़मीनी और व्यावहारिक डेटा पर मिल सकेगा। इससे आम लोगों और छोटे उद्यमियों के लिए क्रेडिट की दुनिया और दरवाज़े खुलेंगे।