भारतीय संसद के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 17 सांसदों को इस वर्ष 'संसद रत्न पुरस्कार 2025' से सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार उनके विधायी कार्य, बहसों में भागीदारी, प्रश्न पूछने और समितियों में योगदान जैसे विभिन्न मानकों पर आधारित हैं।
इस बार के पुरस्कारों में चार विशेष जूरी पुरस्कार भी शामिल हैं, जो ऐसे सांसदों को दिए गए हैं जिन्होंने लगातार तीन कार्यकालों में संसदीय लोकतंत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। यह पुरस्कार लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्यों को दिया गया है।
पुरस्कारों का चयन एक स्वतंत्र समिति द्वारा किया गया, जिसमें पूर्व लोकसभा महासचिव, वरिष्ठ पत्रकार और संसदीय मामलों के विशेषज्ञ शामिल थे। 'संसद रत्न' पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2010 में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से की गई थी। तब से यह सम्मान उन सांसदों को दिया जाता है, जिन्होंने संसद में अपनी सक्रियता और गंभीरता से अपनी पहचान बनाई है।
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आयोजकों ने बताया कि यह पुरस्कार न केवल सांसदों के कार्यों की सार्वजनिक सराहना का माध्यम है, बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरणा देने का कार्य करता है। कार्यक्रम में पूर्व सांसदों, विद्वानों और युवाओं ने भी भाग लिया और संसदीय प्रक्रियाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की।
यह पुरस्कार लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती और सांसदों की जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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