2008 मालेगांव विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण सुनवाई को टाल दिया। अदालत ने कहा कि सरकार और जांच एजेंसियों की ओर से प्रस्तुत विवरण अधूरे हैं, जिसके कारण अपील पर विचार करना इस समय संभव नहीं है। यह अपील विशेष अदालत द्वारा सात आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
मामले में जिन सात आरोपियों को आरोपमुक्त किया गया था, उनमें पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल हैं। इन पर 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम विस्फोट में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। इस धमाके में कई लोग मारे गए थे और दर्जनों घायल हुए थे।
सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि अपील से संबंधित दस्तावेजों और साक्ष्यों को संकलित करने में समय लग रहा है, इसलिए मामले को आगे की तारीख पर सूचीबद्ध किया जाए। अदालत ने इस दलील को स्वीकार करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।
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इस मामले ने पिछले डेढ़ दशक से देश की राजनीति और न्यायिक प्रक्रिया पर गहरी छाप छोड़ी है। प्रज्ञा ठाकुर, जो अब भाजपा की सांसद हैं, इस केस में लंबे समय तक जेल में रहीं और बाद में विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें तथा अन्य आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया।
अब जबकि राज्य सरकार ने विशेष अदालत के इस फैसले को चुनौती दी है, पीड़ित परिवारों और प्रभावित समुदाय की निगाहें हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। अदालत की अगली तारीख पर यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या नए सिरे से साक्ष्यों की जांच और गवाही की प्रक्रिया शुरू की जाती है या नहीं।
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