इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मशहूर लोकगायिका नेहा सिंह राठौर के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है। यह FIR उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स के आधार पर दर्ज की गई थी, जिन्हें अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपमानजनक और अवमाननापूर्ण माना।
नेहा सिंह राठौर ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि उनके पोस्ट केवल जनहित से जुड़े सवाल उठाने और व्यंग्य के माध्यम थे, जिन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत देखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि किसी भी नागरिक को सरकार या नेता के कामकाज की आलोचना करने का संवैधानिक अधिकार है।
हालांकि, अदालत ने माना कि लोकतंत्र में आलोचना और अभिव्यक्ति का अधिकार जरूर है, लेकिन यदि पोस्ट किसी व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंचाते हों या सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हों, तो उन्हें केवल "स्वतंत्रता का हिस्सा" नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के प्रति अपमानजनक और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग सीमा से बाहर है।
और पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को जातिगत महिमामंडन रोकने और एफआईआर से जाति संदर्भ हटाने के निर्देश दिए
न्यायालय ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है, जहां अभिव्यक्ति का प्रभाव तेजी से और व्यापक स्तर पर फैलता है, इसलिए वहां की गई टिप्पणी का असर ज्यादा गंभीर हो सकता है। इसी आधार पर FIR को बरकरार रखते हुए इसे रद्द करने से मना कर दिया गया।
यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया पर जिम्मेदार आचरण के बीच संतुलन की ओर इशारा करता है।
और पढ़ें: आज़म ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत, कब्ज़ा मामले में मिली राहत