ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट्स यूनियन (AICSU) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अंजेल चकमा हत्याकांड के मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है। संगठन ने इस हत्या को “नस्लीय रूप से प्रेरित अपराध” बताते हुए कहा कि उत्तराखंड में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं दिख रही है।
AICSU ने आरोप लगाया कि इस मामले में राज्य पुलिस और अस्पताल प्रशासन की ओर से गंभीर चूक हुई है, जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिलने पर सवाल खड़े हो गए हैं। संगठन का कहना है कि जांच और कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मुकदमे को किसी अन्य राज्य की अदालत में चलाया जाना चाहिए।
इसके साथ ही, ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट्स यूनियन ने इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की भी मांग की है। संगठन का कहना है कि स्थानीय स्तर पर की जा रही जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि अब तक कई अहम पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है।
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AICSU के पदाधिकारियों ने कहा कि अंजेल चकमा पूर्वोत्तर भारत से ताल्लुक रखने वाला एक छात्र था और उसकी हत्या ने देशभर में आदिवासी और पूर्वोत्तर समुदायों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में नस्लीय टिप्पणी और घृणा से प्रेरित हिंसा के संकेत मिले हैं, जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
संगठन ने यह भी कहा कि यदि मुकदमा उत्तराखंड से बाहर स्थानांतरित किया जाता है और CBI जांच होती है, तो इससे न केवल पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी, बल्कि देशभर के अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों में भरोसा भी कायम होगा।
AICSU ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की कि वे इस मामले को एक सामान्य अपराध के रूप में न देखें, बल्कि इसे घृणा अपराध (हेट क्राइम) के रूप में मानते हुए सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करें।
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