भारतीय सेना के एक सूबेदार को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद सात साल की कठोर कारावास (RI) और सेवा से बर्खास्तगी की सजा सुनाई गई है। यह फैसला एक विशेष सैन्य न्यायालय (Court Martial) ने सुनाया।
सूबेदार पर आरोप था कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का दुरुपयोग करते हुए सैनिकों और विभागीय निधियों के साथ धोखाधड़ी की। जांच में पाया गया कि उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया। इसके अलावा, सेना के नियमों और अनुशासन का उल्लंघन भी उनके कार्यों में शामिल था।
सैन्य अदालत ने कहा कि इस तरह के कृत्य न केवल सेना की अनुशासनात्मक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि देश की सुरक्षा प्रणाली पर भी भरोसा घटाते हैं। अदालत ने कठोर सजा सुनाते हुए स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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अदालत के फैसले के अनुसार, सूबेदार को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया और उन्हें सात साल की कठोर कारावास की सजा दी गई, जिसे नियमित जेल में पूरी करनी होगी। इसके साथ ही उनका पेंशन और अन्य सेवा लाभ भी रद्द कर दिए गए हैं।
सेना के प्रवक्ता ने कहा कि यह सजा अनुशासन और ईमानदारी की मिसाल है और अन्य सैन्यकर्मियों के लिए चेतावनी स्वरूप है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना में सभी कर्मियों से अपेक्षा की जाती है कि वे नैतिक और कानूनी नियमों का पालन करें और किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से दूर रहें।
यह मामला सेना के आंतरिक अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।
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