कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 17 जुलाई, 2025 को जातिगत जनगणना को जनहित में बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से समाज में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को समझने और उसे पाटने में मदद मिलेगी।
गहलोत ने सुझाव दिया कि जातिगत आंकड़ों के साथ-साथ एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी किया जाना चाहिए ताकि नीति निर्माण के लिए सटीक और वैज्ञानिक आधार मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान नीतियां अक्सर अधूरी या असमान जानकारी पर आधारित होती हैं, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में जब तक सटीक आंकड़े नहीं होंगे, तब तक योजनाएं केवल अनुमान और राजनीतिक लाभ के आधार पर बनती रहेंगी। जातिगत जनगणना से यह स्पष्ट होगा कि किस वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है और किसे वास्तव में सरकारी योजनाओं की ज़रूरत है।
गहलोत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के समावेशी डेटा जुटाए। उन्होंने यह भी कहा कि जातिगत आंकड़े न सिर्फ सामाजिक न्याय के लिए आवश्यक हैं, बल्कि यह लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
इस तरह की पहल से भविष्य की योजनाओं को दिशा देने में मदद मिलेगी और नीति निर्माण अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बन सकेगा।