बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल एक नया मोड़ ले चुकी है। चुनाव आयोग ने देश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को आगामी चुनाव में मतदान करने से रोक दिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, न केवल हसीना बल्कि उनके परिवार के कई सदस्यों की राष्ट्रीय पहचान (एनआईडी) कार्ड भी "लॉक" या "ब्लॉक" कर दिए गए हैं। इनमें उनकी छोटी बहन शेख रेहाना, बेटे सजीब वाजेद जॉय और बेटी साइमा वाजेद पुतुल शामिल हैं।
चुनाव आयोग का यह कदम राजनीतिक हलकों में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है और सत्ता में बैठे नेताओं के दबाव में लिया गया है। वहीं, आयोग का तर्क है कि ये कार्रवाई "तकनीकी कारणों" और सत्यापन प्रक्रिया से जुड़ी है, ताकि चुनाव की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
शेख हसीना, जिन्होंने लगभग डेढ़ दशक तक बांग्लादेश पर शासन किया, हाल ही में व्यापक जनविरोध और राजनीतिक उथल-पुथल के चलते सत्ता से बाहर हुई थीं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों की जांच चल रही है। विश्लेषकों का मानना है कि हसीना और उनके परिवार को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है और इससे देश की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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बांग्लादेश इस समय चुनावी तैयारियों के दौर से गुजर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी इस पर गहरी नजर है। कई पर्यवेक्षक मानते हैं कि यदि विपक्ष और सत्तारूढ़ गुटों में टकराव जारी रहा, तो चुनाव की विश्वसनीयता और लोकतंत्र की छवि गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
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