तमिलनाडु की राजनीति में एक ऐतिहासिक टिप्पणी फिर से सुर्खियों में है — यह टिप्पणी है तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता एम. भक्तवत्सलम की, जिन्होंने 1967 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद अपने बयान से राजनीतिक हलचल मचा दी थी।
1967 में जब डीएमके ने कांग्रेस को हराकर तमिलनाडु में पहली बार सत्ता संभाली, तब हार के बाद भक्तवत्सलम ने कहा था, “मैं देख रहा हूं कि एक वायरस पूरे तमिलनाडु में फैल गया है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह लोगों को बचाए।” यह बयान उस समय व्यापक रूप से चर्चित हुआ था और तब से राज्य की राजनीतिक चर्चाओं में प्रतीकात्मक रूप से उद्धृत किया जाता रहा है।
यह remark न केवल तत्कालीन राजनीतिक माहौल को दर्शाता था, बल्कि उस समय के सामाजिक और भाषाई आंदोलन की पृष्ठभूमि को भी उजागर करता है। डीएमके की जीत को तमिल अस्मिता और क्षेत्रीय स्वाभिमान की जीत के रूप में देखा गया था, जबकि कांग्रेस के लिए यह एक बड़े युग का अंत साबित हुआ।
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भक्तवत्सलम का यह बयान वर्षों बाद सोशल मीडिया पर फिर वायरल हुआ है। कई लोग इसे राजनीतिक व्यंग्य के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे उस दौर की कांग्रेस मानसिकता की झलक बताते हैं। इतिहासकारों का कहना है कि यह टिप्पणी उस समय के सत्ता परिवर्तन और जनचेतना के टकराव की एक झलक थी, जिसने तमिल राजनीति की दिशा हमेशा के लिए बदल दी।
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