बिहार में विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं और युवाओं को केंद्र में रखते हुए कल्याणकारी योजनाओं पर अपना ध्यान और खर्च बढ़ा दिया है। सरकार का मानना है कि इन वर्गों को मजबूत किए बिना राज्य का समग्र विकास संभव नहीं है।
नई योजनाओं में महिला उद्यमियों और बेरोजगार युवाओं के लिए मासिक भत्ते की शुरुआत की गई है। इसके तहत, महिला उद्यमियों को व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी, वहीं बेरोजगार युवाओं को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के लिए मासिक भत्ता मिलेगा। सरकार का दावा है कि इससे न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
इन नई योजनाओं के साथ-साथ हाल के वर्षों में लागू अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को जोड़कर देखा जाए तो राज्य सरकार का वार्षिक खर्च लगभग 40,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने का अनुमान है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से पहले इस तरह की घोषणाएं नीतीश सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे महिलाओं और युवाओं के बीच अपनी पकड़ मज़बूत की जा सके। गौरतलब है कि ये दोनों वर्ग राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार का यह कदम सिर्फ चुनावी लाभ के लिए है और इससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर भारी बोझ पड़ेगा। वहीं, सरकार का कहना है कि ये योजनाएं राज्य के भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक निवेश हैं।
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