बिहार में विशेष समावेशी पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग (EC) के तर्क को चुनौती दी है। चुनाव आयोग ने पहले आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को एसआईआर सत्यापन के लिए अस्वीकार कर दिया था, यह कहते हुए कि ये दस्तावेज़ फर्जीवाड़े के लिए संवेदनशील हैं।
हालांकि, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि आयोग द्वारा स्वीकार किए गए शेष आठ दस्तावेज़ भी उतने ही फर्जीवाड़े की संभावना वाले हैं। उन्होंने कहा कि “कोई भी दस्तावेज़ 100% प्रमाणिक नहीं है और यदि चुनाव आयोग आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को अविश्वसनीय मानता है, तो अन्य दस्तावेज़ों पर भी वही खतरा मंडराता है।”
याचिका में कहा गया कि अगर इन तीन प्रमुख पहचान दस्तावेजों को खारिज किया जाता है, तो व्यापक जनता के एक बड़े हिस्से को मतदाता सूची से बाहर करने का खतरा पैदा होता है। यह न केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के साथ अन्याय भी है।
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सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ अब इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है और अगली सुनवाई की तिथि जल्द तय की जा सकती है। चुनाव आयोग से इस मामले पर विस्तृत जवाब मांगा गया है।
यह मामला आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए और भी संवेदनशील बन गया है।
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