उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय हलचल तेज हो गई जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के करीब 40 विधायक और विधान परिषद सदस्य (MLC), जिनमें अधिकांश ब्राह्मण समुदाय से हैं, मंगलवार देर शाम लखनऊ में पार्टी के ही एक सहयोगी नेता के आवास पर डिनर के लिए एकत्र हुए। यह बैठक ऐसे समय हुई जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है, जिससे राजनीतिक चर्चाओं को और हवा मिल गई।
हालांकि BJP नेताओं ने इसे एक “अनौपचारिक और सामान्य मुलाकात” बताया और कहा कि इसे जाति या किसी अन्य राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। पार्टी का तर्क है कि विधायकों और नेताओं का आपसी संवाद और मिलना-जुलना सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन विपक्ष ने इस बैठक को सत्तारूढ़ दल के भीतर असंतोष का संकेत बताया है।
विपक्षी दलों का दावा है कि यह डिनर मीटिंग इस बात का संकेत हो सकती है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनका कहना है कि हाल के दिनों में संगठन और सरकार को लेकर कुछ वर्गों में नाराजगी देखी जा रही है, और यह बैठक उसी असंतोष की अभिव्यक्ति हो सकती है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मण समुदाय का उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐतिहासिक रूप से अहम स्थान रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में ब्राह्मण विधायकों की अलग बैठक को केवल सामाजिक मुलाकात कहना आसान नहीं है। खासकर तब, जब यह बैठक विधानसभा सत्र के दौरान और मीडिया की नजरों से दूर आयोजित की गई हो।
इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या BJP के भीतर जातीय संतुलन, प्रतिनिधित्व या नीतिगत फैसलों को लेकर कोई मंथन चल रहा है। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने किसी भी तरह के मतभेद या आंतरिक खींचतान से इनकार किया है। बावजूद इसके, लखनऊ की इस डिनर मीटिंग ने उत्तर प्रदेश की राजनीति का तापमान जरूर बढ़ा दिया है।
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