बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह भारत कब लौटने का इरादा रखते हैं। यह टिप्पणी अदालत ने उस समय की, जब माल्या की ओर से भगोड़ा आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender–FEO) अधिनियम के तहत उनके खिलाफ की गई कार्रवाई और कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही थी।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखाड की पीठ ने माल्या की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई से कहा कि वे इस मामले में “सोच-समझकर निर्णय” लें और अगली सुनवाई में अदालत को अवगत कराएं कि याचिकाकर्ता भारत लौटने को लेकर क्या रुख अपनाते हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संबंध में स्थिति अगली सुनवाई, जो 12 फरवरी को निर्धारित है, तक स्पष्ट की जानी चाहिए।
पीठ ने यह भी नोट किया कि विजय माल्या से जुड़ी दो याचिकाएं वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित हैं। पहली याचिका में उन्होंने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। दूसरी याचिका एक आपराधिक अपील है, जिसमें जनवरी 2019 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत एक विशेष अदालत ने विजय माल्या को औपचारिक रूप से भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था।
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अदालत ने संकेत दिया कि जब कोई व्यक्ति खुद को न्यायिक प्रक्रिया से दूर रखता है और देश से बाहर रहता है, तो उसके द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि वह भारत लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए तैयार है या नहीं। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को माल्या के मामले में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
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