केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शिक्षा पद्धति में बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए पाठ्यपुस्तक-मुक्त कैंपस की अवधारणा पर जोर देना शुरू कर दिया है। बोर्ड का उद्देश्य पारंपरिक रटने की प्रवृत्ति को कम कर छात्रों में वास्तविक कौशल और अवधारणा की समझ विकसित करना है।
सीबीएसई की नई पहल के तहत दक्षता आधारित मिश्रित शिक्षण (ब्लेंडेड लर्निंग) को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका अर्थ है कि कक्षाओं में डिजिटल संसाधनों, इंटरैक्टिव मॉड्यूल और प्रोजेक्ट-आधारित गतिविधियों का प्रयोग बढ़ेगा। यह मॉडल छात्रों को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें व्यवहारिक समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करेगा।
बोर्ड अधिकारियों के अनुसार, यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के अनुरूप है, जो सीखने के परिणामों को प्राथमिकता देने और छात्रों की समग्र क्षमताओं को विकसित करने पर जोर देती है। दक्षता आधारित शिक्षण में छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन इस आधार पर होगा कि वे वास्तविक परिस्थितियों में सीखे हुए ज्ञान को कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर सकते हैं।
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इसके अलावा, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि वे पारंपरिक अध्यापन पद्धतियों से आगे बढ़कर नई तकनीक और तरीकों का उपयोग कर सकें। डिजिटल प्लेटफॉर्म, स्मार्ट क्लासरूम और ई-कंटेंट की मदद से यह बदलाव सुगम बनाया जाएगा।
सीबीएसई का मानना है कि इस पहल से छात्रों का सीखने का अनुभव और गहन, लचीला और रचनात्मक बनेगा, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे।
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