छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रायपुर जोनल कार्यालय ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार किया है। ईडी ने उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत आरोपी बनाया है। 19 दिसंबर को गिरफ्तारी के बाद दास को रायपुर स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें मंगलवार (22 दिसंबर) तक तीन दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया गया।
ईडी की यह जांच छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो/आर्थिक अपराध शाखा (एसीबी/ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराएं लगाई गई थीं। जांच में सामने आया है कि वर्ष 2019 से 2022 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक सुनियोजित शराब सिंडिकेट सक्रिय था, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ।
ईडी के अनुसार, यह घोटाला करीब ₹2,500 करोड़ से अधिक की अपराध आय (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) से जुड़ा है, जबकि कुछ आकलनों में यह आंकड़ा ₹3,000 से ₹3,500 करोड़ तक बताया गया है। यह धन अवैध कमीशन, शराब नीति में हेरफेर और बिना हिसाब-किताब की शराब की बिक्री से अर्जित किया गया।
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जांच एजेंसी का आरोप है कि निरंजन दास ने व्यक्तिगत रूप से करीब ₹18 करोड़ की अवैध राशि प्राप्त की। डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेजों और गवाहों के बयानों से यह स्पष्ट हुआ कि वह इस शराब सिंडिकेट के सक्रिय सहयोगी थे। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होने के बावजूद उन्हें जानबूझकर आबकारी आयुक्त और विभागीय सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया, ताकि घोटाले को अंजाम दिया जा सके।
आरोप है कि दास ने अपने वैधानिक दायित्वों की अनदेखी की और बदले में हर महीने लगभग ₹50 लाख की अवैध रकम ली। उन्होंने मैदानी अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध और बिना हिसाब की शराब की बिक्री को बढ़ावा देने के निर्देश दिए।
यह घोटाला नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के गठजोड़ से जुड़ा है, जिसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के जरिए शराब की खरीद, वितरण और बिक्री में हेरफेर किया गया। अब तक कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और ईडी अन्य वित्तीय लेन-देन व लाभार्थियों की तलाश में जांच जारी रखे हुए है।
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