सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. डी. वाई. गवाई का शांत और संयमित व्यवहार हाल ही में अदालत में हुई एक तनावपूर्ण घटना के दौरान लोगों को उनकी प्रशंसा करने पर मजबूर कर गया। उनकी यह विशेषता याद दिलाती है 57 साल पहले की एक ऐतिहासिक घटना की, जब तत्कालीन CJI एम. हिदायतुल्लाह ने अपने साथी न्यायाधीश की जान बचाई थी।
13 मार्च 1968 को सुप्रीम कोर्ट के कक्ष में एक व्यक्ति चाकू लेकर घुसा और न्यायाधीश ए. एन. ग्रोवर पर हमला करने लगा। उस समय CJI एम. हिदायतुल्लाह ने तुरंत साहसिक कदम उठाते हुए हमलावर को दबोच लिया और अपने साथी न्यायाधीश की जान बचाई। घटना स्थल पर उपस्थित पुलिस अधिकारी ने हमलावर को पकड़ कर नियंत्रित किया। इसके बावजूद हिदायतुल्लाह ने पुलिस अधिकारी से कहा कि हमलावर के साथ कठोरता न बरती जाए और उसे मानवीय व्यवहार के साथ संभाला जाए।
इस घटना ने न्यायपालिका में संयम, साहस और न्याय की उच्च भावना को स्थापित किया। आज CJI गवाई का शांत, स्पष्ट और संयमित व्यवहार उसी प्रकार की सूझ-बूझ और मानसिक ताकत का परिचायक है, जिसे हिदायतुल्लाह ने 1968 में प्रदर्शित किया था।
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विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायाधीशों की ऐसी तत्परता और संयम न केवल न्यायिक प्रणाली की गरिमा बढ़ाती है, बल्कि आम जनता के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है। अदालत में अनुशासन, धैर्य और मानसिक संतुलन ही ऐसे संकट के समय न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने की कुंजी है।
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