दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को उस विज्ञापन के प्रसारण से रोक दिया है जिसमें अन्य च्यवनप्राश ब्रांड्स को ‘धोखा’ या भ्रामक बताया गया था। अदालत ने आदेश दिया कि यह विज्ञापन सभी इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट माध्यमों से तीन दिनों के भीतर हटाया जाए।
न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने कहा कि विज्ञापन के माध्यम से यह संदेश देना कि केवल पतंजलि का उत्पाद असली है और बाकी सब धोखा हैं, “गलत और अपमानजनक” है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी कंपनी, यदि आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार च्यवनप्राश बनाती है, तो उसे धोखेबाज नहीं कहा जा सकता।
यह अंतरिम आदेश डाबर इंडिया की याचिका पर दिया गया, जिसमें पतंजलि के 25 सेकंड के विज्ञापन को चुनौती दी गई थी। विज्ञापन में एक महिला बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है, “चलो धोखा खाओ,” और फिर बाबा रामदेव कहते हैं, “अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं।”
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अदालत ने कहा कि यह विज्ञापन बाबा रामदेव जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति को शामिल करता है, जिससे दर्शक यह मान सकते हैं कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही असली है। यह अन्य ब्रांड्स को बदनाम करने का प्रयास है।
पतंजलि ने दलील दी कि “धोखा” शब्द केवल रचनात्मक अभिव्यक्ति के रूप में प्रयोग किया गया है और यह विज्ञापन स्वतंत्र अभिव्यक्ति के दायरे में आता है। लेकिन अदालत ने कहा कि यह “अनुमेय सीमाओं से परे जाकर” अन्य उत्पादों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला विज्ञापन है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विज्ञापनदाता अपने उत्पाद की प्रशंसा कर सकते हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स को नीचा दिखाना अस्वीकार्य है।
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