भारत में डिजिटल धोखाधड़ी या साइबर फ्रॉड तेजी से बढ़ रही है और इसे देश की सबसे खतरनाक आर्थिक धोखाधड़ी में से एक माना जा रहा है। इसे अक्सर “डिजिटल गिरफ्तारी” कहा जाता है, जिसमें अपराधी ऑनलाइन माध्यमों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करके लोगों को फंसाते हैं।
इस स्कैम में अपराधी सबसे पहले पीड़ित का विश्वास जीतते हैं। इसके बाद उन्हें फोन कॉल, मैसेज या ईमेल के माध्यम से डराया-धमकाया जाता है। अक्सर पीड़ितों से कहा जाता है कि उनका बैंक खाता या क्रेडिट कार्ड खतरे में है और तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है। अपराधी तब पीड़ितों के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं या उनकी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी चुरा लेते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्कैम इसलिए खतरनाक है क्योंकि यह तकनीकी और मनोवैज्ञानिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता है। आम लोग भी आसानी से इसका शिकार बन जाते हैं। इससे न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि मानसिक और सामाजिक दबाव भी बढ़ता है।
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इससे बचाव के लिए नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। किसी भी अनजान कॉल, संदेश या ईमेल पर तुरंत भरोसा न करें। बैंक या वित्तीय संस्थानों से केवल आधिकारिक चैनलों के माध्यम से ही जानकारी साझा करें। संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत रिपोर्टिंग करें और साइबर सुरक्षा उपाय अपनाएं।
सरकार और बैंकिंग संस्थान भी डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को शिक्षित करने और अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल उपलब्ध कराए गए हैं।
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