पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने लियोनेल मैसी से जुड़े एक कार्यक्रम में मचे हंगामे के बाद जिस तेजी से कदम उठाए, उसने राजनीतिक हलकों में खासा ध्यान खींचा। 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद शायद ही कोई ऐसा मौका आया हो, जब उन्हें बीच रास्ते से लौटना पड़ा हो। लेकिन 13 दिसंबर को साल्ट लेक स्थित युवा भारती क्रीड़ांगन (सॉल्ट लेक स्टेडियम) में फुटबॉल सुपरस्टार लियोनेल मैसी के कार्यक्रम के दौरान अव्यवस्था फैलने के कारण उन्हें अपनी यात्रा अधूरी छोड़कर कोलकाता के कालीघाट स्थित आवास लौटना पड़ा।
घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें अभूतपूर्व माना जा रहा है। घटना के महज एक घंटे के भीतर उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और मामले की जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आशीम कुमार रे की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर दी। इसके साथ ही कार्यक्रम के आयोजक शताद्रु दत्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बंगाल में आगामी चुनावों से पहले ममता बनर्जी किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती थीं। यही कारण है कि उन्होंने विवाद को जल्द से जल्द शांत करने के लिए सख्त और त्वरित कार्रवाई की। वहीं, विपक्षी दलों भाजपा और माकपा ने मुख्यमंत्री के कदमों को “ड्रामा” करार देते हुए आरोप लगाया कि यह पूरा मामला दबाने और जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।
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विवाद यहीं नहीं थमा। मामले की आंच राज्य सरकार तक पहुंची और अंततः खेल मंत्री को भी अपने पद से बाहर होना पड़ा। विपक्ष का कहना है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए बलि का बकरा तलाश रही है, जबकि टीएमसी का दावा है कि यह कार्रवाई जवाबदेही और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी थी।
यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में अव्यवस्था कैसे राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गई और मुख्यमंत्री को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा।
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