एल्गार परिषद मामले में आरोपी अधिवक्ता सुरेंद्र गडलिंग की जमानत याचिका की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरश ने खुद को अलग कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दर्ज स्थिति के अनुसार, यह मामला अब न्यायमूर्ति सुंदरश की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा।
सुरेंद्र गडलिंग, जो एक मानवाधिकार अधिवक्ता हैं, को वर्ष 2018 में एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन पर माओवादी संगठनों से कथित संबंध रखने और हिंसा भड़काने का आरोप है। गडलिंग वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
मामले की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई कि न्यायमूर्ति सुंदरश ने खुद को सुनवाई से अलग क्यों किया। सुप्रीम कोर्ट में किसी न्यायाधीश द्वारा मामले से खुद को अलग करना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो विभिन्न कारणों से हो सकती है, जिनमें संभावित हितों का टकराव या व्यक्तिगत कारण शामिल हैं।
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गौरतलब है कि एल्गार परिषद मामला जनवरी 2018 में पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ा है। इस घटना के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं पर प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखने के आरोप लगे थे। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी गई थी।
अब यह देखना होगा कि गडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए नया पीठ गठन कब किया जाएगा। यह मामला लंबे समय से न्यायिक प्रक्रिया में लंबित है और इस पर देशभर में बहस जारी है।
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