यूरोपीय परिषद ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को घोषणा की कि यूरोपीय संसद के साथ मिलकर उसने 2027 तक रूस से गैस आयात समाप्त करने पर एक ऐतिहासिक समझौता कर लिया है। यह निर्णय यूरोपीय संघ की उस बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है।
समझौते के अनुसार, रूसी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और पाइपलाइन गैस के आयात पर चरणबद्ध कानूनी प्रतिबंध लगाया जाएगा। LNG आयात पर पूर्ण प्रतिबंध 2026 के अंत तक लागू होगा, जबकि पाइपलाइन गैस पर पूरी तरह से रोक 2027 की शरद ऋतु तक प्रभावी होगी।
यह कदम लंबे समय से चल रहे रूस–यूरोप ऊर्जा संबंधों में एक बड़ा बदलाव है। 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोप ने रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कई वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और आपूर्ति मार्गों पर काम शुरू किया था।
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रिपोर्टों के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक रूस यूरोपीय संघ की कुल गैस आपूर्ति का 12% हिस्सा था, जबकि युद्ध से पहले यह आंकड़ा 45% था। हंगरी, फ्रांस और बेल्जियम जैसे देश अब भी रूसी गैस प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन नए कानून के लागू होने के बाद यह सप्लाई धीरे-धीरे पूरी तरह बंद हो जाएगी।
यूरोपीय संघ का मानना है कि यह कदम उसकी ऊर्जा स्वतंत्रता को मजबूत करेगा, आर्थिक स्थिरता बढ़ाएगा और रूस पर भू-राजनीतिक दबाव बनाए रखेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव यूरोपीय बाजार को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों—जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, नॉर्वे और अमेरिका से LNG तथा अफ्रीकी देशों से गैस—की ओर तेज़ी से धकेलेगा।
यह निर्णय यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा नीति में अब तक का सबसे निर्णायक कदम माना जा रहा है।
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