फ्रांस की राजनीति में बड़ा मोड़ उस समय आया जब प्रधानमंत्री को पद से हटना पड़ा। इस घटनाक्रम के बाद अब सबकी निगाहें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर टिकी हैं कि वे किसे नया प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे और क्या वह 2027 तक उनके कार्यकाल के अंत तक टिक पाएंगे।
प्रधानमंत्री की विदाई ऐसे समय में हुई है जब फ्रांस कई चुनौतियों से जूझ रहा है—आर्थिक दबाव, सामाजिक असंतोष और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बढ़ती चुनौतियां। राष्ट्रपति मैक्रों के लिए यह स्थिति न केवल राजनीतिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी कठिन है, क्योंकि उन्हें एक ऐसे नेता की तलाश है जो न केवल संसद में स्थिरता बनाए रख सके बल्कि जनता का भरोसा भी जीत सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि मैक्रों संभावित उम्मीदवारों में से किसी ऐसे चेहरे को चुन सकते हैं जो राजनीतिक संतुलन साधने में सक्षम हो। सवाल यह भी है कि क्या नया प्रधानमंत्री संसद और जनता दोनों का समर्थन पाकर 2027 तक टिक पाएगा या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान साबित होगा।
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फ्रांस में प्रधानमंत्री का चुनाव राष्ट्रपति की छवि और उनकी नीतियों पर भी गहरा असर डाल सकता है। अगर नया नेतृत्व मजबूत साबित होता है तो यह मैक्रों के कार्यकाल को स्थिरता प्रदान करेगा, अन्यथा बार-बार बदलाव से उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
आगामी हफ्तों में यह तय होगा कि फ्रांस की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी और राष्ट्रपति मैक्रों का नेतृत्व आने वाले दो वर्षों में कितना प्रभावी साबित होता है।
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