देशभर में बड़ी संख्या में करदाता इन दिनों अपने इनकम टैक्स रिफंड अटके होने को लेकर चिंतित हैं। इसी बीच आयकर विभाग द्वारा 31 दिसंबर तक संशोधित (रिवाइज्ड) रिटर्न दाखिल करने के लिए भेजे जा रहे मैसेज और ई-मेल ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। कई करदाता यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उनके रिफंड क्यों रुके हुए हैं और अचानक संशोधित रिटर्न दाखिल करने की जरूरत क्यों पड़ रही है।
आयकर विभाग के अनुसार, इस महीने बड़ी संख्या में नोटिस, मैसेज और ई-मेल इसलिए भेजे गए हैं क्योंकि कई मामलों में करदाताओं द्वारा किए गए दावे नियमों के अनुरूप नहीं पाए गए। इनमें अयोग्य कटौतियों और छूटों (डिडक्शन और एग्जेम्प्शन) के दावे, तथा आयकर रिटर्न में दी गई जानकारी और रिपोर्टिंग संस्थाओं (जैसे बैंक, नियोक्ता, म्यूचुअल फंड) से प्राप्त आंकड़ों के बीच बड़ा अंतर शामिल है।
विभाग का कहना है कि जब रिटर्न में घोषित आय, ब्याज, निवेश या अन्य वित्तीय जानकारियां सिस्टम में उपलब्ध डेटा से मेल नहीं खातीं, तो ऐसे मामलों में रिफंड रोक दिया जाता है और करदाता को संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए कहा जाता है। इसके जरिए विभाग गलत दावों को सुधारने और टैक्स अनुपालन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है।
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हालांकि, करदाताओं का कहना है कि बिना स्पष्ट कारण बताए भेजे जा रहे मैसेज और ई-मेल से भ्रम की स्थिति बन रही है। कई लोग आशंका जता रहे हैं कि अगर 31 दिसंबर तक संशोधित रिटर्न दाखिल नहीं किया गया तो उन्हें जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की सलाह है कि करदाता अपने फॉर्म 26AS, एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और टैक्सपेयर इंफॉर्मेशन समरी (TIS) को ध्यान से जांचें। यदि कोई गलती या विसंगति नजर आए, तो समय रहते संशोधित रिटर्न दाखिल करें। अगर रिटर्न सही है और कोई त्रुटि नहीं है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सही जानकारी और दस्तावेजों के साथ सतर्कता ही इस स्थिति से निपटने का सबसे बेहतर तरीका है।
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