रूस में भारतीय राजदूत ने स्पष्ट किया है कि भारत तेल खरीद के मामले में हमेशा अपने लिए सबसे अनुकूल और लाभकारी सौदा करेगा। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार पूरी तरह से आपसी हितों और बाज़ार के कारकों पर आधारित होता है। इसका उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
राजदूत ने बताया कि भारत विश्व बाजार में किसी भी स्रोत से तेल खरीद सकता है, जहां सबसे अच्छा सौदा उपलब्ध हो। यह कदम 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और देश के ऊर्जा भंडार को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है। उन्होंने जोर दिया कि इस नीति से भारत ऊर्जा संसाधनों में लचीला और प्रतिस्पर्धात्मक बनेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-रूस व्यापार रणनीति में पारदर्शिता और आपसी सहयोग का विशेष महत्व है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग लगातार मजबूत होता जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारत को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान स्थिरता मिलती है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की यह नीति न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि देश की दीर्घकालीन ऊर्जा सुरक्षा और विकास लक्ष्यों के अनुरूप भी है। इससे देश की घरेलू ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है और वैश्विक तेल बाजार में भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत होती है।
राजदूत के बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी ऊर्जा नीतियों में स्वतंत्र और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाता है, ताकि देश के नागरिकों और अर्थव्यवस्था के लिए स्थायी और सुरक्षित ऊर्जा सुनिश्चित की जा सके।
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