मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक नीतियों पर चिंता जताते हुए कहा है कि दंडात्मक टैरिफ (punitive tariffs) का सीधा और गंभीर असर भारत जैसे देशों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हम दुर्भाग्यवश ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ भविष्यवाणी करने योग्य चीजें अप्रत्याशित हो रही हैं और निश्चितताएँ अब अनिश्चितता में बदल गई हैं।” उनका यह बयान हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ते संरक्षणवाद (protectionism) और टैरिफ नीतियों पर आया है।
रामगुलाम ने कहा कि विकसित और शक्तिशाली देशों की ओर से लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्क वैश्विक व्यापारिक संतुलन को प्रभावित कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा खामियाजा विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को उठाना पड़ रहा है। भारत, जो दुनिया के प्रमुख निर्यातक और आयातक देशों में शामिल है, इन नीतियों से खासतौर पर प्रभावित हो रहा है।
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उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता तभी संभव है जब सभी देश मिलकर सहयोग करें और टकराव के बजाय समन्वय की नीति अपनाएँ। रामगुलाम का मानना है कि व्यापार में अस्थिरता न केवल आर्थिक विकास को बाधित करती है, बल्कि इससे रोजगार और निवेश की संभावनाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
भारत की ओर से पहले भी कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया गया है और यह तर्क दिया गया है कि दंडात्मक टैरिफ से मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार का वातावरण प्रभावित होता है।
रामगुलाम का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक स्तर पर कई देश संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा दे रहे हैं और व्यापार युद्ध की आशंकाएँ फिर से गहराने लगी हैं।
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