वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) और जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों के बीच भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। केवल ज्ञान प्रसंस्करण (knowledge processing) पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है; भारत को ज्ञान निर्माण (knowledge creation) का केंद्र बनने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसे हासिल करने के लिए एक नई राष्ट्रीय समझौते (national compact) की आवश्यकता है, जो केवल STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) तक सीमित न रहे। इसके बजाय इसे STEPS मॉडल अपनाना चाहिए, जो STEM को नीति (policy) और समाज (society) के साथ जोड़ता है। STEPS के माध्यम से तकनीकी नवाचार और वैज्ञानिक शोध को सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में लागू किया जा सकता है।
इस दृष्टिकोण से भारत न केवल तकनीकी रूप से उन्नत राष्ट्र बन सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रणनीतिक और आर्थिक रूप से भी मजबूत होगा। ज्ञान निर्माण का केंद्र बनने से देश में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, नौकरियों का सृजन होगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत का योगदान बढ़ेगा।
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विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि शिक्षा, शोध संस्थान, नीति निर्माता और उद्योग एक साथ मिलकर इस परिवर्तन को संभव बना सकते हैं। STEM से STEPS तक का संक्रमण न केवल तकनीकी दक्षता को बढ़ाएगा बल्कि समाज और नीति को भी विज्ञान और तकनीक से लाभान्वित करेगा।
संक्षेप में, भारत की भविष्य की तैयारी केवल एआई और वैश्विक भू-राजनीति के दबाव से बचने के लिए नहीं, बल्कि दुनिया में नेतृत्व करने के लिए भी ज्ञान निर्माण पर निर्भर करती है।
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