केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद वाई. नाइक ने कहा है कि भारत 2030 तक वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन मांग का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की राह पर है। वे बुधवार को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन सम्मेलन (ICGH 2025) को संबोधित कर रहे थे।
नाइक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंचामृत संकल्प के मार्गदर्शन में भारत का स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण विश्व में सबसे तेज़ और साहसी है। उन्होंने बताया कि भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्थापित क्षमता 260 गीगावॉट तक पहुंच गई है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा का बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा, “भारत अब अगला निर्णायक कदम — ग्रीन हाइड्रोजन क्रांति — उठा रहा है, जिसके माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को हरित अणुओं में परिवर्तित कर उद्योगों का डीकार्बोनाइजेशन और स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।”
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नाइक ने बताया कि भारत का ग्रीन हाइड्रोजन बाज़ार अगले दशक में 20–40 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने का अनुमान है। सरकार ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) के तहत ₹17,000 करोड़ की प्रोत्साहन राशि स्वीकृत की है। इसके अंतर्गत 3,000 मेगावॉट प्रति वर्ष इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन और 8.62 लाख मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की परियोजनाएं आवंटित की गई हैं।
इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन “पूरे सरकार और पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण” का प्रतीक है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और क्षेत्रों के प्रयासों को जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि भारत की वैज्ञानिक पहलें — बायोटेक्नोलॉजी से लेकर हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी तक — सार्वजनिक–निजी साझेदारी के तहत लागू की जा रही हैं।
सम्मेलन में वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि भारत हाइड्रोजन विकास का सबसे तेज़ी से उभरता पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है। चर्चाओं में हाइड्रोजन हब निर्माण, औद्योगिक क्लस्टर से एकीकरण और वित्तीय ढांचे पर विशेष ध्यान दिया गया।
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