भारतीय सेना की नॉर्दर्न कमांड ने हाल ही में मल्टी-डोमेन युद्धक (Multi-Domain Warfare) में अपनी तैयारियों का नया स्तर स्थापित किया है। चार दिन तक चले इस अभ्यास में कमांडरों, स्टाफ और सैनिकों को साइबर, अंतरिक्ष, विद्युत-चुंबकीय और संज्ञानात्मक (Cognitive) क्षेत्रों में भविष्य की संभावित चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य नई तकनीकों और संभावित खतरे के प्रति सेना की तत्परता का आकलन करना था। इसमें विभिन्न डोमेन में समन्वित रणनीतियों का परीक्षण किया गया, ताकि वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी निर्णय लिए जा सकें।
अभ्यास के दौरान सैनिकों और अधिकारियों को उच्च तकनीकी साधनों और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने, उन्हें बाधित करने और रणनीतिक लाभ हासिल करने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा, संचार तंत्र की स्थिरता, और डेटा-संचालन पर जोर दिया गया।
और पढ़ें: भारतीय सेना ने तैनात किया स्वदेशी सक्षम काउंटर-UAS ग्रिड, सुरक्षित किए सामरिक युद्धक्षेत्र
अभ्यास ने यह भी दिखाया कि भविष्य के युद्ध केवल पारंपरिक मोर्चों तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि साइबर हमले, अंतरिक्ष आधारित निगरानी और विद्युत-चुंबकीय हस्तक्षेप जैसी चुनौतियां भी निर्णायक भूमिका निभाएंगी।
प्रवक्ता ने कहा कि इस अभ्यास से सेना को नई रणनीतियों के विकास, कमांड और नियंत्रण तंत्र की मजबूती, और जवानों की तात्कालिक प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने में मदद मिली। यह कदम भारतीय सेना की भविष्य की युद्ध तैयारियों और रणनीतिक दक्षता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
और पढ़ें: भारतीय सेना प्रमुख से सम्मान पाकर मोहनलाल बोले — यह गर्व और कृतज्ञता का क्षण है