संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आयोजित “समुद्री सुरक्षा और नाविकों की सुरक्षा” विषयक बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवतनेनी हरीश ने वैश्विक समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि पश्चिमी अरब सागर में बढ़ते समुद्री हमलों और समुद्री डकैती की घटनाओं के बीच भारतीय नौसेना ने पिछले दो वर्षों में असाधारण तत्परता और साहसिक हस्तक्षेप करते हुए सैकड़ों लोगों की जान बचाई है।
हरीश ने बताया कि नौसेना ने इस अवधि में क्षेत्र में 35 से अधिक युद्धपोत तैनात किए, 1000 से अधिक बोर्डिंग ऑपरेशन्स किए तथा 35 से अधिक आपात घटनाओं का जवाब दिया। उन्होंने कहा, “भारतीय नौसेना की विश्वसनीय और त्वरित कार्रवाई ने राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना 520 से अधिक लोगों की जान बचाई है।”
उन्होंने यह भी बताया कि नवंबर 2023 से नौसेना ने 367 से अधिक वाणिज्यिक जहाजों को सुरक्षित एस्कॉर्ट प्रदान किया, जो 14.7 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कार्गो ले जा रहे थे, जिसकी कीमत 6.3 अरब डॉलर से अधिक है।
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बैठक ऐसे समय हुई जब लाल सागर में हूती हमलों से लेकर सोमालिया के तट के पास फिर से उभरती समुद्री डकैती तक, समुद्री अस्थिरता तेजी से बढ़ रही है, जिससे हजारों नाविक और महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग जोखिम में हैं।
हरीश ने भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र–हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) की प्रभावशीलता का भी उल्लेख किया, जो वास्तविक समय में समुद्री खुफिया जानकारी साझा करने में मदद करता है। उन्होंने ‘सागर में सम्मान’ पहल और ऑल-वूमेन क्रू की तैनाती जैसे लैंगिक-संवेदनशील सुधारों का उदाहरण देते हुए भारत की समुद्री नीति की प्रगतिशील दिशा को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर नाविकों की सुरक्षा, लैंगिक समानता और समुद्री कर्मियों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारत के व्यापक “महासागर” विजन से जुड़ा है।
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