भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने हाल ही में अमेरिका और पश्चिम एशियाई बाजारों से लगभग 70 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। यह कदम उस समय उठाया गया जब भारतीय सरकारी रिफाइनरियों ने रूसी तेल की खरीद में अस्थायी विराम लिया।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से एशिया के लिए कच्चे तेल का आर्बिट्रेज विंडो (कीमतों में अंतर का लाभ) खुलने के बाद IOC ने बड़े पैमाने पर स्पॉट खरीदारी की। आमतौर पर भारतीय रिफाइनर रूस से भारी छूट पर कच्चा तेल खरीदते रहे हैं, लेकिन हाल ही में रूसी तेल पर मिलने वाली छूट कम हो गई, जिससे अमेरिकी और पश्चिम एशियाई तेल अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया।
विश्लेषकों का कहना है कि यह खरीदारी भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और तेल आपूर्ति में विविधता लाने की रणनीति का हिस्सा है। रूस से सस्ती आपूर्ति में कमी के चलते भारतीय रिफाइनर अन्य स्रोतों की ओर रुख कर रहे हैं।
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IOC की यह स्पॉट डील भविष्य में कच्चे तेल के आयात पैटर्न में बदलाव का संकेत देती है। अनुमान है कि अगर रूसी तेल पर छूट में सुधार नहीं होता, तो भारत अमेरिकी और मध्य-पूर्वी तेल पर अधिक निर्भर हो सकता है।
भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85% से अधिक हिस्सा विदेशों से पूरा करता है। बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण भारतीय कंपनियां लगातार अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
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