भारतीय नौसेना ने थलसेना के साथ अपने महत्वाकांक्षी संयुक्त उभयचर युद्धाभ्यास ‘जल प्रहार 2025’ को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। यह अभ्यास पूर्वी तट पर दो चरणों में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं की सामरिक समन्वय क्षमता और उभयचर अभियानों की तैयारी को और मजबूत करना था।
पहले चरण में समुद्र से तटीय इलाकों तक संयुक्त युद्धक रणनीतियों का परीक्षण किया गया। इसमें नौसेना के उन्नत जहाजों, लैंडिंग क्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ थलसेना की बख्तरबंद गाड़ियों और टुकड़ियों ने भाग लिया। अभ्यास में जटिल अभियानों जैसे सैनिकों की त्वरित तैनाती, संसाधनों की आपूर्ति और सामरिक क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रदर्शन किया गया।
दूसरे चरण में सेनाओं ने गहन स्तर पर समन्वित कार्रवाई दिखाई, जिसमें संभावित युद्ध परिस्थितियों में तटवर्ती इलाकों की रक्षा और प्रतिआक्रमण अभियानों का अभ्यास किया गया। इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच रीयल-टाइम संचार और एकीकृत कमांड संरचना पर विशेष जोर दिया गया।
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नौसेना अधिकारियों ने बताया कि यह अभ्यास भारतीय सशस्त्र बलों की बढ़ती सामरिक क्षमता और आधुनिक तकनीकी दक्षता का उदाहरण है। वहीं थलसेना अधिकारियों ने इसे साझा प्रशिक्षण का बेहतरीन अवसर बताते हुए कहा कि इसने दोनों सेनाओं की तैयारियों को नई मजबूती दी है।
‘जल प्रहार 2025’ ने यह स्पष्ट किया कि भारत की सशस्त्र सेनाएं न केवल भूमि पर बल्कि समुद्री मोर्चे पर भी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। यह अभ्यास भविष्य की सामरिक जरूरतों और संयुक्त अभियानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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