महाराष्ट्र सदन घोटाले से जुड़े एक बड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने चव्हाणकर बंधुओं को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज किया गया पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) का मामला खारिज कर दिया।
यह मामला वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल से जुड़े आरोपों से संबंधित था। घोटाले के आरोप महाराष्ट्र सदन (नई दिल्ली), हाई माउंट रेस्ट हाउस (मुंबई) और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) की इमारतों के निर्माण के लिए ठेकों के आवंटन से जुड़े थे। आरोप लगाया गया था कि इन निर्माण कार्यों में अनियमितताएं हुईं और ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
चव्हाणकर बंधुओं पर आरोप था कि वे इस कथित घोटाले से लाभान्वित हुए। ईडी ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सबूत मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने यह भी माना कि केवल ठेके देने में अनियमितताओं के आरोपों के आधार पर पीएमएलए का केस दर्ज करना उचित नहीं है।
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इस फैसले से चव्हाणकर बंधुओं को बड़ी कानूनी राहत मिली है। वहीं, इस मामले का राजनीतिक असर भी हो सकता है, क्योंकि यह घोटाला लंबे समय से महाराष्ट्र की राजनीति में विवाद का केंद्र रहा है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट का यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों की जांच और पीएमएलए के इस्तेमाल को लेकर एक मिसाल साबित हो सकता है।
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