छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगर गांव में नक्सलियों ने एक 30 वर्षीय अस्थायी शिक्षक की बेरहमी से हत्या कर दी। स्थानीय पुलिस के अनुसार, शिक्षक को पीट-पीटकर और गला घोंटकर मार डाला गया। यह घटना 27 अगस्त, 2025 की शाम को घटी। स्थानीय लोग इसे नक्सलियों द्वारा पुलिस के मुखबिर समझे जाने के कारण की गई हत्या मानते हैं। नक्सलियों का यह तरीका आमतौर पर उन नागरिकों को निशाना बनाने का होता है, जिन पर उन्हें संदेह होता है कि वे पुलिस के लिए सूचना देते हैं।
इस घटना के साथ ही 2025 में बस्तर क्षेत्र में नक्सल हिंसा में मारे गए नागरिकों की संख्या बढ़कर लगभग 30 हो गई है। इनमें शिक्षक, राजनीतिक कार्यकर्ता, शिक्षा स्वयंसेवक और सामान्य ग्रामीण शामिल हैं, जो सीधे तौर पर पुलिस गतिविधियों में शामिल नहीं थे, लेकिन नक्सलियों के अनुसार वे सरकारी गतिविधियों के सहयोगी माने जाते हैं।
नक्सलियों के इस प्रकार के हमले विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के खिलाफ उनकी प्रतिक्रिया के रूप में देखे जाते हैं, जो उनके प्रभाव क्षेत्र में विस्तार कर रहे हैं। सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि बस्तर क्षेत्र में स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है।
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इस प्रकार की घटनाएँ न केवल नागरिकों की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष में विकास और सुरक्षा दोनों पहलुओं पर समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह घटना बस्तर क्षेत्र में नक्सल हिंसा की निरंतरता और नागरिकों की सुरक्षा की चुनौती को उजागर करती है।
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