प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन पूर्ण अधिवेशन (प्लेनरी सेशन) को संबोधित करेंगे। सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीतियों पर चर्चा होगी। मोदी का यह संबोधन भारत की क्षेत्रीय और वैश्विक भूमिका को उजागर करने का महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।
पूर्ण अधिवेशन में मोदी के भाषण के बाद वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में ऊर्जा सहयोग, रक्षा साझेदारी और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत रणनीतिक साझेदारी रही है और यह बैठक दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने का मौका है।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य सदस्य देशों के नेताओं से अनौपचारिक बैठकें कीं और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने आतंकवाद, कट्टरपंथ और उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस सम्मेलन में मोदी का भाग लेना भारत के वैश्विक नेतृत्व की छवि को मजबूत करता है। सम्मेलन में लिए गए निर्णय न केवल एससीओ के सदस्य देशों बल्कि पूरे एशिया क्षेत्र के लिए दूरगामी असर डाल सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी द्विपक्षीय बैठकों के कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भारत लौटेंगे। उनका यह दौरा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत की सक्रिय भूमिका और सुरक्षा एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के प्रयासों का संकेत देता है।
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