मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र, जो 5 दिसंबर तक निर्धारित था, एक अजीब स्थिति में समाप्त हुआ जब विभिन्न दलों के कुल 14 विधायक शादी समारोहों में शामिल होने के कारण सत्र से अनुपस्थित रहे। इन विधायकों में बीजेपी, कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के सदस्य शामिल थे।
अंतिम दिन प्रश्नकाल के दौरान स्थिति हास्यास्पद और हैरान करने वाली रही। कोषाध्यक्ष पक्ष के मंत्री अपने-अपने विभागों से जुड़े जवाबों के साथ तैयार बैठे थे, लेकिन जिन विधायकों ने ये सवाल पूछे थे, वे सदन में पहुंचे ही नहीं।
कारण—शादी का मौसम।
स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने जब विपक्ष की खाली बेंचों की ओर देखा और अनुपस्थित विधायकों के नाम पढ़े, तो सदन में पूरी चुप्पी छा गई। कोई जवाब देने वाला नहीं था।
और पढ़ें: जुबिन गर्ग मौत मामले में एसआईटी 12 दिसंबर को दाखिल करेगी चार्जशीट: असम पुलिस
विधानसभा कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “अगली बार सत्र की तारीखें तय करते समय शादी के मुहूर्त भी देख लेने चाहिए। कई विधायकों के घर आज शादी है। अगले साल से हम कोशिश करेंगे कि विधानसभा सत्र और शादी समारोह टकराएं नहीं।”
इस टिप्पणी ने सदन में हल्की खुसरफुसर और आश्चर्य का माहौल बना दिया।
विपक्ष के विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न 14 से 18 तथा 20 से 25 बिना पूछे ही समाप्त हो गए। प्रश्न क्रमांक 2, 7 और 11 के विधायक भी सदन में मौजूद नहीं थे। सभी मंत्री और अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन प्रश्न पूछने वाले विधायक गायब रहे।
करीब 20 वर्षों में यह पहला मौका था जब प्रश्नकाल के पाँच मिनट शेष रहते हुए भी सदन में कोई काम नहीं बचा।
इस घटना ने बाहर राजनीतिक बहस छेड़ दी है। आलोचकों का कहना है कि प्रश्नकाल लोकतंत्र में जवाबदेही का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे शादी निमंत्रणों के लिए दरकिनार कर दिया गया। वहीं समर्थकों का तर्क है कि शादी का peak season है और जनप्रतिनिधियों से अनेक समारोहों में उपस्थित रहने की अपेक्षा रहती है।
और पढ़ें: कानूनी विवाद के बीच यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस का नाम बदला, अब इमारत पर लगा ट्रंप का नाम